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सक्सेस स्टोरी : एक कमरे से शुरू की केसर की खेती, लाखों की हुई कमाई

प्रकाशित - 17 May 2023

जानें, कैसे करें केसर की खेती, कैसे कमाएं लाखों रुपए का मुनाफा

केसर दुनियाभर में एक प्रसिद्ध मसाला है जो अपने आकर्षक रंग और औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है। दूध या दूध से बने पकवानों में केसर का उपयोग किया जाता है। इसे कलर एजेंट भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी हल्की सी मात्रा भी दूध में मिला दें तो दूध का रंग बदल जाता है। केसर के कई औषधीय गुण हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी इंफ्लामेटरी गुण शरीर को कई तरह से फायदे पहुंचाते हैं। साथ ही कैंसर, अस्थमा, अनिद्रा, मेंटल हेल्थ आदि गंभीर बीमारियों से उबरने के लिए केसर का सेवन करने का सुझाव दिया जाता है। केसर इतना अधिक महत्वपूर्ण होने की वजह से ही 2 लाख रुपए प्रति किलो के भाव से बिकता है। भारत में केसर की खेती मुख्य रूप से कश्मीर में ही होती है, क्योंकि इसकी उपज के लिए मौसम का ठंडा होना जरूरी होता है। लेकिन नोएडा के एक इंजीनियर में अपने घर से केसर की खेती कर लाखों का मुनाफा कमाया है। इस रिटायर्ड इंजीनियर का नाम रमेश गेरा है जिन्होंने साल 2017 में रिटायरमेंट के बाद घर के अंदर ही एडवांस फार्मिंग विधि से केसर की खेती शुरू की।

ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम रमेश गेरा के रिटायरमेंट के बाद केसर की खेती में मिली सफलता की कहानी और केसर की खेती के बारे में जानकारी देंगे।

कौन हैं रमेश गेरा, क्या है उनकी सफलता की कहानी

रमेश गेरा हरियाणा राज्य के हिसार जिले के निवासी हैं। हरियाणा में ही उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई की। कई सारी मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब की। किसी काम के सिलसिले में उन्हें दक्षिण कोरिया जाने का अवसर मिला। यहां उन्होंने कई एडवांस फार्मिंग तकनीक देखी। हाइड्रोपोनिक फार्मिंग की तकनीक भी सीखी। दक्षिण कोरिया में हो रही केसर की खेती (saffron cultivation) ने रमेश को बहुत प्रभावित किया। वो चाहते थे कि इस तकनीक को भारत लाया जाए और भारत में ही केसर का उत्पादन किया जाए। चूंकि भारत में केसर की मांग बहुत अधिक है इसलिए भारत में केसर का उत्पादन बढ़ने से यहां के किसानों, निर्यातकों, आयातकों को भी बहुत मुनाफा होगा। साथ इस खेती से काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। दक्षिण कोरिया से जब रमेश ट्रेनिंग लेकर आए तो उन्होंने घर के अंदर ही केसर की खेती की शुरुआत की। शुरुआती 2 साल में रमेश को सफलता नहीं मिली। कश्मीर जाकर उन्होंने दुबारा से शोध किया और वहां से मिट्टी लाए जिसके बाद से उन्होंने खेती में सफलता पाई। बता दें कि खेती की शुरुआत में ही रमेश गेरा को कश्मीर से 2 लाख रुपए का बीज लाना पड़ा। आज रमेश 1.5 किलो केसर का उत्पादन कर रहे हैं, जिसे होलसेल रेट में 2-2.50 लाख रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेच रहे हैं।

कैसे तैयार हुआ सेटअप

केसर का उत्पादन करने के लिए खास किस्म की मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता होती है। ऐसे में नोएडा में केसर के लिए अनुकूल वातावरण विकसित करना रमेश के लिए एक बड़ी चुनौती था। रमेश ने केसर के उत्पादन के लिए आधुनिक प्लेटें मंगवाई। एसी का सेटअप किया और रूम में अच्छी लाइटिंग की व्यवस्था की। इस प्रकार पूरा सेटअप करने में 4 लाख रुपए का खर्च आया। अब इतने से सेटअप से रमेश हर साल 3.5 लाख रुपए की आमदनी कर रहे हैं। रमेश ने बताया, केसर के बीज के अलावा इस खेती में अन्य खर्चे भी होते हैं जैसे हर महीने लगभग 4 से 4.5 हजार रुपए का बिजली का बिल आता है। लगभग 6 महीने तक एसी चलता है उसके बाद ऑफ कर दिया जाता है।

क्या है केसर की मांग का गणित

भारत में केसर की मांग के हिसाब से केसर का उत्पादन नहीं हो पाता है। भारत में केसर की कुल मांग का 30% हिस्सा ही जम्मू और कश्मीर से आ पाता है, बाकी केसर के लिए भारत को ईरान से केसर का आयात करना पड़ता है। यही वजह है कि भारत में केसर की खेती का माहौल तैयार करना एक फायदे का सौदा है। इसका बहुत बड़ा बेनिफिट किसानों को हो सकता है। रमेश ने एक बातचीत में बताया कि 70% आयात की वजह से वे अपने उत्पादों की बिक्री को लेकर बेफिक्र थे, उन्हें मार्केटिंग की कोई चिंता नहीं हुई और आज आसानी से उनका माल बिक जा रहा है। 

क्या है केसर की कीमत

एक बातचीत में रमेश गेरा ने कहा, केसर की भारतीय बाजारों में बहुत अच्छी मांग है। यही वजह है कि कीमतें भी अच्छी मिलती है। अगर आप होल सेल में बेचना चाहते हैं, तो आराम से 2.5 लाख रुपया प्रति किलोग्राम पर आप इसकी बिक्री कर सकते हैं, वहीं रिटेल में यदि बेचना चाहें तो 1 ग्राम, 2 ग्राम, 5 ग्राम के पैकेट्स में तो 3.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक की कमाई कर सकते हैं। अगर केसर का निर्यात या एक्सपोर्ट करते हैं, तो 6 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक की भी कमाई कर सकते हैं।

चलाते हैं प्रशिक्षण केंद्र

केसर की खेती में सफलता मिलने के बाद इस खेती के बारे में जानने के लिए रमेश से मिलने दूर-दूर से किसान आ रहे हैं। जिसकी वजह से रमेश वर्तमान में 105 से भी ज्यादा किसानों को घर में केसर की खेती के लिए प्रशिक्षित कर चुके हैं। आकर्षक सेफ्रॉन इंस्टीट्यूट के नाम से एक संस्थान चलाते हैं। रमेश न सिर्फ केसर बल्कि अन्य सब्जियों को भी उगाते हैं और हरियाणा के एक जेल में कैदियों को भी उन्नत विधि से खेती करना सीखा रहे हैं। ताकि कैदियों में भी एक स्किल डेवलप हो और वो आगे एक अच्छा जीवन जी सकें।

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