प्रकाशित - 18 Sep 2024
केंद्र सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार किसान और कृषि पर अपना फोकस कर रही है। किसानों व महिलाओं के लिए नई-नई योजनाओं की घोषणाएं की जा रही हैं और पहले से चल रही योजनाओं में पारदर्शिता लाने का काम किया जा रहा है ताकि पात्र लाभार्थी को सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ मिले। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने हाल ही कई किसान हितैषी निर्णय लिए हैं जिससे किसानों और उद्योग जगत को लाभ होगा। केंद्र सरकार ने खाद्य तेल के आयात शुल्क को बढ़ा दिया है। पहले जो आयात शुल्क 0 प्रतिशत था उसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है। इससे बाहर से तेलों का आयात कम होगा जिससे देश के किसानों को अपनी तिलहन फसलों की बेहतर कीमत मिल सकेगी जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा भी सरकार ने किसानों के हित में कई निर्णय लिए है जिससे किसानों को लाभ होगा।
किसानों के हित में सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 0 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है। इसमें अन्य शुल्क को जोड़ने पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो जाएगा। आयात शुल्क बढ़ने से सोयाबीन की फसल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और खाद्य तेल निर्माता भी घरेलू किसानों से फसल की खरीद के लिए प्रेरित होंगे। इससे किसानों को उनकी फसल का ठीक दाम मिल सकेगा। इस निर्णय से सोया खली का उत्पादन बढ़ेगा और उसका निर्यात हो सकेगा। इससे सोया से जुड़े अन्य सेक्टर्स को भी लाभ होगा। बता दें कि देश में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में तिलहनों का उत्पादन सबसे अधिक होता है। ऐसे में सरकार के इस निर्णय का सबसे अधिक लाभ इन दो राज्यों के लाखों किसानों को होगा।
केंद्र सरकार ने किसानों के हित में जो दूसरा निर्णय लिया है वह है बासमती चावल से न्यूनतम निर्यात शुल्क हटाना। बासमती चावल (Basmati Rice) से न्यूनतम निर्यात शुल्क हट जाने से बासमती उत्पादक किसानों को अपनी उपज के ठीक दाम मिल सकेंगे और बासमती चावल की मांग बढ़ने के साथ ही इसके निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी जिससे किसानों को लाभ होगा। सरकार के इस निर्णय का सबसे अधिक लाभ बासमती धान उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्य के किसानों को होगा जहां धान की खेती (Paddy Cultivation) सबसे अधिक होती है। बता दें कि भारत दुनिया भर में सबसे बड़ा बासमती चावल निर्यातक देश है। यहां विश्व का 70 प्रतिशत से अधिक बासमती चावल का उत्पादन होता है। भारत सऊदी अरब, अमेरिका, इराक, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, यमन गणराज्य आदि को बासमती चावल (Basmati Rice) का निर्यात करता है।
केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात शुल्क को 40 प्रतिशत से कम करके 20 प्रतिशत कर दिया है। प्याज के निर्यात शुल्क में कमी होने जाने से प्याज उत्पादक किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल सकेंगे और प्याज का निर्यात भी बढ़ेगा। किसानों के साथ ही इसका सीधा लाभ, प्याज से जुड़े अन्य सेक्टर्स को भी होगा। इधर प्याज पर से निर्यात शुल्क घटाने का असर प्याज के भावों पर भी दिखाई दिया है। प्याज के बाजार भावों में 10 रुपए तक का उछाल देखा गया। बता दें कि प्याज पर से निर्यात शुल्क घटाने का लाभ सबसे अधिक महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के किसानों को होगा। यहां सबसे अधिक प्याज का उत्पादन होता है। भारत के प्याज की मांग देश में ही नहीं हमारे पड़ौसी देशों में भी है। भारत से प्याज का निर्यात बांग्लादेश व पाकिस्तान को किया जाता है।
केंद्र सरकार द्वारा रिफाइन ऑयल के मूल शुल्क (बेसिक ड्यूटी) को 32.5 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। सरकार के इस निर्णय से रिफाइनरी तेल के लिए सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी जैसी तिलहनी फसलों की मांग बढ़ेगी जिससे किसानों को इन फसलों का बेहतर दाम मिल सकेगा। इसके साथ ही छोटे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रिफाइनरी बढ़ने से वहां रोजगार के अवसर में बढ़ोतरी होगी जिससे युवाओं को रोजगार मिल सकेगा।
इस समय सोयाबीन के बाजार भावों में आ रही गिरावट को लेकर किसान चिंतित हैं। मध्यप्रदेश में किसान सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की मांग कर रहे थे, जिस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद की मंजूरी प्रदान की ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके। केंद्र से सोयाबीन की खरीद को मंजूरी मिलने के बाद भी किसान असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि उनकी सोयाबीन की फसल को सरकार 6,000 रुपए की एमएसपी की दर से खरीदें। इधर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि किसान किसी भी अफवाह में न आए। सोयाबीन की खरीद उसी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होगी जो केंद्र सरकार की ओर से तय किया गया है। बता दें कि फसल विपणन वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार की ओर से सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP of Soybean) 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
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