सर्दियों में गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

Share Product प्रकाशित - 19 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सर्दियों में गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

जानें, सर्दी में गाय-भैंस से बेहतर दूध उत्पादन प्राप्त करने के तरीके

सर्दी का मौसम चल रहा है। ऐसे में पशुपालक किसानों को अपने दुधारू पशुओं का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार सर्दी के मौसम में हमें कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है, ठीक उसी तरह पशुओं को भी इस मौसम में कई बीमारियां हो जाती है जिनका यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए तो दूध उत्पादन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। पशु कम दूध देने लगता है और कई बार तो स्थिति यहां तक पहुंच जाती है कि पशु दूध देना ही बंद कर देता है। ऐसे में विशेष कर दुधारू पशुओं की विशेष देखभाल बेहद जरूरी है। सर्दी के मौसम में पशुओं की देखभाल पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो पशुओं को स्वस्थ व सुरक्षित रखा जा सकता है और इनसे बेहतर दूध उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता है। 

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सर्दियों के मौसम में पशुओं को होने वाली परेशानी और इसे दूर करने के आसान उपाय बता रहे हैं।

दूध की मात्रा कम न हो इसके लिए करें यह उपाय

ठंड के मौसम में पशुओं को सर्दी, बुखार, गलघोटू व खुरपका रोग होने की संभावना रहती है। पशुओं को मौसम सबंधी बीमारियों से बचाव के लिए पशुपालक इन आसान तरीकों को अपना सकते हैं। यह तरीके इस प्रकार से हैं

  • सर्दियों के मौसम में पशुओं को जूट से बना बोरा पहनाना चाहिए। जूट का बोरा पशुओं के शरीर को गर्म रखता है जिससे सर्दी से उनका बचाव होता है।
  • पशुओं को सर्दी से बचाने लिए पशु को सही व पोषक तत्व से भरपूर आहार देना चाहिए। इसके लिए पशु को महीने में कम से कम दो बार सरसों का तेल पिलाना चाहिए। ऐसा करने से पशु का शरीर अंदर से गर्म रहता है। इसके अलावा पशु की रोग- प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
  • पशु को 250 ग्राम गुड़ हर रोज खिलाना चाहिए। सरसों की खल खिलाएं।
  • पशु को सेंधा नमक भी दें, इससे पशु की प्यास बढ़ेगी जिससे पशु पर्याप्त मात्रा में पानी पी सकेगा जिससे उसके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।
  • सर्दियों में पशु को सूखा चारा अधिक खिलाएं, इसमें दो हिस्सा सूखा चारा और एक हिस्सा हरे चारा का रखें। इस तरह 2:1 के अनुपात में पशु को चारा खिलाएं।
  • सर्दियों के दिनों में पशुओं को थोड़ा बहुत गर्म पानी भी पिलाना चाहिए ताकि खाए गए चारे का पाचन आसानी से हो सके।

पशुओं में मुंहपका, खुरपका की बीमारी

पशुओं को मुंहपका व खुरपका की बीमारी होती है। पशुओं को अगर एक बार यह बीमारी हो जाती है तो उसे आजीवन प्रभावित करती है। इस बीमारी की शुरुआत में पशु के शरीर का तापक्रम बढ़ जाता है, जो कुछ दिनों तक रहता है। इसके बाद पशु के मुंह में छाले हो जाते हैं। पशु की भूख खत्म होने लगती है। इससे पशु का दूध उत्पादन कम हो जाता है। पशु के खुर में जख्म होने लगते हैं। कभी-कभी यह छाले अयन और थनों पर भी हो जाते हैं। मुंह में छाले होने की वजह से पशु कुछ खा नहीं पाता है। इस बीमारी से ग्रसित पशु के मुंह से लार गिरती रहती है।

कैसे करें मुंहपका, खुरपका बीमारी की रोकथाम

पशु को मुंहपका व खुरपका या गलघोटू की वैक्सीन लगाने से इस बीमारी से बचाव होता है। इस वैक्सीन के लगने पर पशु को एक से दो दिन तक बुखार जरूर हो सकता है लेकिन पशु के स्वास्थ्य पर इसका कोई विपरित असर नहीं होता है। यह पूरी तरह से सुरक्षित होती है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सात से आठ माह की गर्भ से गाय-भैंस को यह वैक्सीन नहीं लगाई जाती है। यह वैक्सीन पशुपालक अपने पशु को जिले के पशु चिकित्सा अस्पताल में जाकर लगवा सकते हैं। यह वैक्सीन अक्टूबर-नवंबर व अप्रैल-मई के महीनों में लगवाने से बीमारी से बचाव होता है।

कैसे करें बीमार पशु की देखभाल

यदि किसी गाय को मुंहपका या खुरपका या गलघोटू बीमारी हो गई हो तो उसके आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पहले तो बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। इसके बाद पशु की नीचे दिए गए तरीके से देखभाल करनी चाहिए ताकि पशु जल्द स्वस्थ हो जाए।

  • बीमारी होने पर पशु के मुंह को लालदवा या फिटकरी के हल्के घोल से रोजाना धोना चाहिए।
  • मुंह के छालों व जीभ पर बोरोग्लिसरीन लगानी चाहिए।
  • खुरों के घावों पर नीला थोथा जिसे कापर सल्फेट भी कहते हैं की एक प्रतिशत की मात्रा का घोल लगाना चाहिए। फिनाइल में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर खुरों के घावों पर लगाने से घाव जल्द भरते हैं और घाव में कीड़े पड़ने की संभावना नहीं रहती है।
  • यदि पशु के थनों पर छाले हो गए हो तो उस पर बोरिक ऑइंटमेंट दवा लगानी चाहिए।
  • यदि पशु के घाव गंभीर हो तो पशु को विटामिन ए के इंजेक्शन लगवाने चाहिए, इससे घाव जल्द भर जाता है।
  • बीमारी से ग्रसित पशु को सूखा चारा नहीं खिलाना चाहिए। इसकी जगह पशु को नरम चारा खिलाएं। इसके अलावा पशु को गेहूं का पका हुआ पतला दलिया गुड़ डालकर खिलाना चाहिए।

इसके अलावा बीमारी से बचाव के लिए प्रति वर्ष इस बीमारी टीका पशु को लगवाना चाहिए ताकि इससे बचाव हो सके। एक बात का ध्यान रखें, पशु को इंजेक्शन खुद नहीं लगाना चाहिए। किसी समस्या के लिए पशु स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करना चाहिए और वहां पशु चिकित्सक के मार्गदर्शन व देखरेख में पशु का इलाज करवाना चाहिए।

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