प्रकाशित - 02 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
रबी सीजन की फसलों में गेहूं बाद सरसों का प्रमुख स्थान है। हमारे देश के कई राज्यों में सरसों की खेती (Mustard cultivation) की जाती है। इसमें राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, और असम प्रमुख राज्य हैं। यह एक तिलहनी फसल है जो किसानों के लिए नकदी फसल मानी जाती है। इसके बाजार भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। सरसों के तेल की मांग बाजार में अधिक होने से ज्यादातर किसान सरसों की खेती करना पसंद करते हैं। इस बार भी देश के लाखों किसानों ने सरसों की खेती की है। इसी बीच खबर है कि सरसों में इन दिनों लीफ माइनर कीट का प्रकोप हो रहा है जो सरसों किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
जानकारी के मुताबिक राजस्थान के करौली जिले में इसका प्रकोप देखा गया है। यहां के अधिकांश क्षेत्रों में सरसों की फसल में इस कीट का प्रकोप बढ़ने से किसानों को अपनी फसल खराब होने की चिंता सता रही है। बता दें कि लीफ माइनर कीट सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है, इसके प्रकोप से सरसों की पैदावार पर असर पड़ता है। इस कीट के प्रकोप से कई बार तो सरसों की पूरी की पूरी फसल खराब हो जाती है। ऐसे में जिन किसानों ने इस बार सरसों की बुवाई की है उनको सरसों के लीफ माइनर की के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है ताकि समय रहते फसल को खराब होने से बचाया जा सके।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको लीफ माइनर कीट कैसा होता है और यह सरसों की फसल को कैसे नुकसान पहुंचाता है, इसके प्रकोप से सरसों की फसल कैसे बचाया जा सकता है आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं।
सरसों का लीफ माइनर कीट दिखने में छोटी मक्खी जैसा होता है। यह अपने अंडे सरसों के पौधों की पत्तियों की सतह पर छोड़ देता है। कुछ समय बाद इसमें से छोटे कीट पत्तियों में सुरंग बना देते हैं और फिर पत्तियों में सर्पाकार धारियां बन जाती है। धीरे-धीरे यह फसल के दानों पर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। इससे तेल की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है।
लीफ माइनर कीट का असर फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक बना रहता है। यह कीट सरसों के पौधों की पत्तियों मे सुरंग बनाकर ऊतकों को खाता है। इससे सरसों की पत्तियों में सफेद लाइन बन जाती है और इससे क्लोरोफिल नहीं बन पाता है। इससे सरसों का उत्पादन कम हो जाता है। वहीं इस कीट के प्रकोप के कारण सरसों का दाना कमजोर बनने के कारण तेल की मात्रा भी कम हो जाती है।
लीफ माइनर कीट से ग्रसित पत्तियों को तोड़कर जला देना चाहिए जिससे उनमें रहने वाले लार्वा या प्यूपा मर जाए। इसके लिए किसान यांत्रिक विधियों को अपना सकते हैं। इसके अलावा इसके प्रकोप को रोकने लिए कीटनाशक रसायन का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके लिए डाइमेथोएट एक एमएल प्रति लीटर, लेम्डासाइहेलोथी एक लीटर प्रति एमएल, साइबरमैथ्रीरीन एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा आप फैनवेलरेट पाउडर 6 किलो प्रति बीघा भुरकाव इस कीट के प्रकोप से बचाव के लिए फसल पर कर सकते हैं। किसानों को सलाह है कि फसल पर किसी भी कीटनाशक का प्रयोग करने पहले अपने निकटतम कृषि विभाग से संपर्क करके कृषि विशेषज्ञों देखरेख या सुझाव के बाद ही दवा का इस्तेमाल करें।
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