प्रकाशित - 09 Sep 2024
सोयाबीन की बाजार में गिरती कीमतों से किसान चिंतित है। सोयाबीन के बाजार भाव इतने नीचे जा रहे हैं जिससे किसानों को इसकी लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। किसानों को सोयाबीन की फसल से हो रहे नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार ने सोयाबीन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर करने का फैसला किया है ताकि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाया जा सके और बाजार में सोयाबीन की गिरती कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
पिछले दिनों महाराष्ट्र में सोयाबीन की कीमतों को लेकर किसानों ने सरकार पर नाराजगी जताई थी। यहां तक कि एक किसान ने तो अपने खेत में लगी सोयाबीन की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया था। ऐसे में सरकार ने किसानों की नाराजगी को दूर करते हुए सोयाबीन की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) पर खरीदने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले से लाखों किसानों को लाभ होगा। महाराष्ट्र के साथ ही सरकार कर्नाटक और तेलंगाना में भी किसानों से सोयाबीन की एमएसपी (MSP of soybean) पर खरीद करेगी।
केंद्र सरकार की ओर से दो सहकारी एजेंसियां नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) को किसानों से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद (Purchase of soybean on MSP) करने की जिम्मेदारी सौंपा गई है जो महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य के लाखों सोयाबीन उत्पादक किसानों से प्राइस सपोर्ट स्कीम (Price Support Scheme) के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद करेगी। कृषि मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में सोयाबीन की खरीद के लिए नफेड और एनसीसीएफ के साथ ही राज्य स्तरीय एजेंसियों को भी सोयाबीन की खरीद की जिम्मेदारी दी है। यह दोनों एजेंसियां पहले से किसानों से एमएसपी पर दलहन, कपास और मक्का की खरीद कर रही हैं।
किसानों को सोयाबीन को बेचने से हो रही हानि को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद का निर्णय लिया है। इससे किसानों को सोयाबीन के विक्रय से हो रहे नुकसान से बचाया जा सकेगा। वैसे भी सरकार की ओर से दलहन और तिलहन की खेती (Cultivation of pulses and oilseeds) करने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में सरकार का एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद का फैसला किसानों को आगे भी सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
किसानों से सोयाबीन की फसल को एमएसपी (MSP) पर खरीदा जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4892 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले अधिक है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4600 रुपए था। इस तरह देखा जाए तो पिछले साल के मुकाबले इस बार सोयाबीन के एमएसपी में 292 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2021-22 सीजन के लिए 350 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं 2023-24 में सोयाबीन के एमएसपी में 300 रुपए की वृद्धि की गई थी।
वर्तमान बाजार दरों के अनुसार महाराष्ट्र में सोयाबीन का भाव (soyabean ka bhav) कमजोर है। इसका औसत मूल्य 4325 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम सोयाबीन की बाजार कीमत (market price of soybean) 4,000 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे उच्च बाजार कीमत 4505 रुपए प्रति क्विंटल है। वहीं कर्नाटक में सोयाबीन का औसत मूल्य (Average price of soybean) 4176.5 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम बाजार कीमत 3419 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे उच्च बाजार कीमत 4600 रुपए है। इसी प्रकार तेलंगाना में सोयाबीन का औसत मूल्य 4489 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम बाजार कीमत 4369 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे उच्च बाजार कीमत 4609 रुपए प्रति क्विंटल है।
सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) इस बार काफी किसानों ने की है। ऐसे में सोयाबीन का उत्पादन अधिक होने से इसके भावों में गिरावट की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में यदि सरकार एमएसपी पर खरीद शुरू कर रही है तो इससे किसानों को लाभ होगा। वहीं इससे सोयाबीन के बाजार भाव (soybean bazar bhav) में भी सुधार दिखाई देगा। एमएसपी पर खरीद शुरू होने से सोयाबीन की खुले बाजार में बिक्री कम होगी जिससे इसके भाव एमएसपी के बराबर या इससे ऊपर होते दिखाई दे सकते हैं।
इस खरीफ सीजन में तिलहन फसलों की बुवाई काफी अधिक रकबे में की गई जिसमें सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) ज्यादा हुई है। मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में किसानों ने सोयाबीन की जमकर खेती की है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2 सितंबर तक देशभर में करीब 125.11 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई की गई है जो पिछले खरीफ सीजन की तुलना में करीब 2 लाख हैक्टेयर अधिक है। पिछले खरीफ सीजन में करीब 123.85 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई की गई थी।
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