गन्ने की खेती : पीली होकर सूख रही है गन्ने की फसल तो करें यह काम

Share Product प्रकाशित - 08 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गन्ने की खेती : पीली होकर सूख रही है गन्ने की फसल तो करें यह काम

जानें, गन्ने की फसल में पीलापन व सूखने का कारण और इसके नियंत्रण के उपाय

बरसात के मौसम में गन्ने में फसल पीली होकर सूख रही है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है। उन्हें गन्ने की फसल खराब होने की चिंता सता रही है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरपुर मंडल समेत कई क्षेत्रों में किसानों ने गन्ने की फसल के पीला पड़ने की शिकायत भारतीय अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम से की थी। जिस पर टीम ने समस्या प्रभावित किसानों के खेतों का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट में गन्ने की फसल के पीला पड़ने के कारण, उपचार और बचाव से संबंधित सलाह किसानों को दी है। गन्ने में पीलेपन और सूखेपन की समस्या से प्रभावित किसान वैज्ञानिकों की ओर से दिए गए सुझावों पर अमल करके अपनी गन्ने की फसल को इस रोग से खराब होने से बचा सकते हैं, तो आइये जानते हैं, इसके बारे में।

गन्ने की किन किस्मों में देखी गई पीलेपन व सूखेपन की समस्या

गन्ने में पीलेपन व सूखेपन की समस्या मुख्य रूप से गन्ने की कुछ किस्मों जैसे- को. 11015, को. 15027, को. बी.एस.आई. 8005, को. बी.एस.आई 3102 और को. बी.एस.आई 0434 जैसी किस्मों में देखा गया है जो प्रदेश के लिए अनुमोदित किस्में नहीं हैं। इसके अलावा को. 15023 और को. 0118 जैसी अनुमोदित किस्मों में भी इस रोग का प्रभाव अधिक देखने को मिला है।

गन्ने की फसल में किन कारणों हो सकती है पीलेपन की समस्या

गन्ना विकास विभाग की ओर से नियुक्त टीम की ओर से दी गई रिपार्ट में बताया गया है कि गन्ने की फसल के पीले पड़ने कारण मुख्य रूप से उकठा रोग है। इसे विल्ट रोग भी कहा जाता है। उकड़ा रोग के प्रारंभिक लक्षण में फसल पीला पड़ना शुरू हो जाती है। इसके अलावा कहीं-कहीं जड़ बेधक व मिलीबग कीट का प्रकोप भी दिखाई दिया है। इसके कारण गन्ने की फसल पीली पड़ कर सूख रही है। वहीं गन्ने की फसल को अन्य कारण भी प्रभावित कर रहे हैं जिसमें सामान्य से कम बारिश, कम आर्द्रता, मृदा में नमी की कमी और उच्च तापमान जैसे कारण शामिल हैं जो उकठा रोग व जड़ बेधक कीट के लिए अनुकूल होते हैं।

गन्ने की फसल को पीलेपन व सूखेपन से बचाने के लिए क्या दिए गए हैं सुझाव

गन्ना विभाग की ओर से गन्ने की फसल को पीलेपन व सूखेपन की समस्या से बचाने के लिए किसानों को जो सुझाव दिए गए हैं उनमें खेत का निरीक्षण करके फसल को पीले पड़ने के कारण का पता लगाना और सही तरीके से कीट रोगों की पहचान कर उपचार करना बताया गया है। गन्ना विकास विभाग यूपी के मुताबिक गन्ने में पीलेपन की समस्या उकठा रोग के कारण हो सकती है।

क्या है उकठा रोग और इसके लक्षण

उकठा रोग फ्यूजेरियम सेकरोई नाम के फंगस के कारण होता है। इस रोग से प्रभावित होने पर गन्ने के छिलके पर भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं। पपड़ी का बैंगनी या भूरे रंग में बदलना और अप्रिय गंध आना शुरू हो जाता है। उकठा रोग गन्ने को गंभीर रूप स प्रभावित करता है। इसके कारण गन्ने के पौधे पीले पड़कर सूखने लगते हैं। इस रोग से प्रभावित होकर गन्ने के अंदरूनी भाग खोखला होने लगता है और इसका रंग लाल-भूरा सा दिखाई देने लगता है। इसके प्रभावित होने पर गन्ने का वजन कम होने लगता है। अंकुरण क्षमता समाप्त हो जाती है और गन्ने की उपज और चीनी उत्पादन की मात्रा कम प्राप्त होती है।

उकठा रोग के नियंत्रण के लिए क्या करें उपाय

गन्ने की फसल में उकठा रोग होने पर सिस्टमिक फंजीसाइट जैसे- थायोफिनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू.पी. 1.3 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी या कार्बन्डाजिम 50 डब्ल्यू. पी. 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 से 20 दिन के अंतराल में दो बार ड्रेंचिंग करनी चाहिए। इसके बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसके अलावा गन्ने की जड़ों के पास 4 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति एकड़, 40 से 80 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद या प्रेसमड के साथ मिलाकर प्रयोग करना चाहिए।

सूखेपन की समस्या के लिए क्या करें

गन्ना विकास विभाग की टीम ने गन्ने की फसल के पीलेपन व सूखेपन के पीछे जड़ बेधक कीट और मिली बग कीट को भी कारण माना है। जड़ बेधक कीट गन्ने की जड़ों और तनों को हानि पहुंचाता है। इसके कारण फसल पीली पड़कर सूखने लगती है। इस कीट का लार्वा हल्के पीले रंग का होता है। वहीं इसका विकसित लार्वा नारंगी या भूरे रंग का होता है। इस कीट के प्रकोप से फसल की जड़े और तना कमजोर हो जाता है। जड़ बेधक कीट की रोकथाम के लिए फिप्रोनिल 0.3 जी का 10-12 किलोग्राम प्रति एकड़ या क्लोपाइरीफास 50 ई.सी. एक लीटर दवा, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 200 मिली दवा या बाइफ्रेन्थ्रिन 10 ई.सी. 400 मिली दवा को प्रति एकड़ के हिसाब से 750 लीटर पानी मिलाकर ड्रेंचिंग करनी चाहिए और इसके बाद सिंचाई करनी चाहिए।

कैसे करें मिलीबग कीट की रोकथाम

मिलीबग कीट के प्रकोप से भी गन्ने के पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लग जाती है। यह गुलाबी, अंडकार आकार का कीट होता है जो गन्ने की गांठों या पत्ती के आवरण के नीचे सफेद मैला लेप के साथ दिखाई देता है। इसके प्रकोप से गन्ने के पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और इससे गन्ने के पौधों की बढ़वार रूक जाती है व गन्ने पर कालिख जैसी फफूंद उगने लगती है। इस कीट की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 200 मिली या मोनोक्रोटोफास 36 एस.एल. 750 मिली प्रति एकड के हिसाब से 675 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।

गन्ने की बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए किन बातों का रखें ध्यान

गन्ने की बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए जिन बातों का ध्यान रखने की सलाह दी गई है, उनमें से प्रमुख बातें इस प्रकार से हैं-

  • गन्ने की क्षेत्र के अनुसार अनुमोदित किस्मों की ही बुवाई करें।
  • शरदकालीन गन्ना बुवाई के लिए स्वस्थ नर्सरी से स्वस्थ गन्ने बीज का ही उपयोग करें।
  • गन्ने की बुवाई से पहले बीज का उपचार करें। इसके लिए बीज को किसी सिस्टमिक फंजीसाइट जैसे- कार्बन्डाजिम 50 डब्ल्यू. पी. 0.1 प्रतिशत या थायोफिनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू. पी. 0.5 प्रतिशत के घोल में कम से कम 10 मिनट तक डुबोकर रखें और इसके बाद इसकी बुवाई करें।
  • आवश्यकता के अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग नहीं करें।
  • मिट्‌टी में सूक्ष्म जीवों की सक्रियता बढ़ाने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल नहीं करें।
  • अपुष्ट स्त्रोतों से प्राप्त रसायनों का अनुचित इस्तेमाल नहीं करें।
  • ट्राइकोडर्मा का उपयोग केवल अधिकृत स्त्रोत से करें और इसकी एक्सपायरी तिथि का ध्यान रखें।

यह भी पढ़ें:  रोगमुक्त गन्ना की फसल के लिए इस विधि से करें बुआई, होगी बंपर पैदावार

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टरमहिंद्रा ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back