प्रकाशित - 28 Jul 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
भारत में धान की खेती कई राज्यों में की जाती है। धान की खेती पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक होती है, उसके बाद उत्तर प्रदेश व पंजाब आते हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा जैसे राज्यों में भी धान की खेती की जाती है। आज के समय में निरंतर गिरते भूजल के कारण कई राज्य सरकारें किसानों को कम पानी में पैदा होने वाली फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इतना ही नहीं राज्य सरकारें धान की जगह दूसरी फसल की खेती करने के लिए किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से सब्सिडी भी दे रही है। इसके बावजूद किसानों का धान के प्रति मोह भंग नहीं हो रहा है। इस बार भी किसानों ने धान की खेती की है। खरीफ फसलों का सीजन चल रहा है। जिन क्षेत्रों में बारिश हो गई है वहां धान की रोपाई शुरू हो गई है। कई जगह पर तो किसानों की फसल 20 दिन से ऊपर की हो गई है। ऐसे में किसानों को अपनी धान की फसल का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि इससे बेहतर पैदावार मिल सके।
धान की फसल जब 20 से 25 दिन की हो जाती है तो इसमें किल्ले निकलने लगते हैं। इस अवस्था में धान की फसल का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। यदि आपने धान की रोपाई कर दी है और 20 दिन से ऊपर हो गए है तो आपको अपने खेत में पाटा जरूर चलाना चाहिए। ऐसा करने के लिए आप एक 10 से 15 फीट का बांस लें और दो बार पाटा लगा दें। ऐसा करने से धान की जड़ों में थोड़ा झटका लगता है और जो फसलें छोटी या हल्की होती हैं उनको भी आगे निकलने व बढ़ने का अवसर मिलता है। पाटा लगाने के दौरान खेत में पानी भरा होना चाहिए। पाटा उल्टी व सीधी दोनों दिशाओं में चलाना चाहिए।
पानी भरे चावल के खेत में पाटा चलाने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे धान के कल्ले अधिक निकलते हैं जिससे अधिक उपज प्राप्त होती है। वहीं दूसरा धान की फसलों में लगने वाली सुंडी जैसे कीड़े झड़कर पानी में गिर जाते हैं जिससे वह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। इस तरह पाटा चलाना धान की फसल के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
यदि आपके खेत में धान की फसल में किल्ले फूटने लग गए हो तो आपको खेत में नाममात्र का पानी रखना चाहिए ताकि खेत में नमी बनी रहे। इस अवस्था में धान की फसल को अधिक न्यूट्रिशन की आवश्यकता होती है। ऐसे में खेत में पानी भरा नहीं होना चाहिए। धान की रोपाई के 25 दिन बाद पानी निकाल देना चाहिए। बस इतना पानी होना चाहिए ताकि खेत में नमी बनी रहे। इस दौरान धान के एक एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 10 किलोग्राम जिंक की मात्रा देनी चाहिए।
जब धान की फसल 20 से 25 दिन की हो जाती है तो खेत से पानी बाहर निकाल दिया जाता है और इतना ही पानी रखा जाता है जिससे धान के खेत में नमी बनी रहे। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि इससे धान की जड़ों पर सीधे धूप पड़ती है और फसल को ऑक्सीजन भी सही तरीके से मिल जाती है। इस दौरान किसान निराई गुड़ाई का काम भी कर सकते हैं। यह सब प्रक्रिया करने के बाद खेत को दुबारा से पानी से भर देना चाहिए।
धान की फसल में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या है इससे उत्पादन में कमी आती है। अत: धान की फसल को खरतवार से बचाने के लिए आप 2-4D नमक दवा का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए आप पेंडीमेथलीन 30 ई.सी. का 3.5 लीटर मात्रा को प्रति हैक्टेयर की दर से 850 से 900 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
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