प्रकाशित - 22 May 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
इस समय कई राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर रबी फसलों की खरीद चल रही है। एमएसपी (MSP) पर रबी फसलों की खरीद अंतिम दौर में है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से किसानों को अपनी रबी की फसल एमएसपी पर बेचने का अंतिम मौका दिया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसानों को एमएसपी का लाभ मिल सके। राज्य सरकार ने तीसरी बार एमएसपी पर गेहूं की खरीद की अवधि बढ़ा दी है। अब राज्य के किसान 31 मई तक एमएसपी पर गेहूं बेच सकेंगे।
बता दें कि रबी विपणन वर्ष 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर गेहूं खरीद के लिए भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर एवं उज्जैन संभाग में उपार्जन अवधि 07 मई एवं शेष संभागों में 15 मई तक निर्धारित की गई थी। इसके बाद एमएसपी (MSP) पर गेहूं उपार्जन की अवधि 20 मई 2024 तक बढ़ाई गई थी। अब तीसरी बार गेहूं उपार्जन की अवधि को 31 मई 2024 तक के लिए बढ़ा दिया है।
मध्यप्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर गेहूं खरीद के नियम पहले से अधिक सख्त कर दिए गए हैं। इससे किसानों को परेशानी हो रही है। किसानों के अनुसार इस बार एमएसपी (MSP) पर गेहूं की खरीद करते समय गेहूं की क्वालिटी की बारीकी से जांच की जा रही है। यदि गेहूं में एक प्रतिशत से अधिक मिट्टी होती है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। वहीं 20 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं छनवाई का शुल्क लगने के कारण सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने में परेशानी आ रही है। इधर, खरीद केंद्रों के कर्मचारियों का कहना है कि इस बार प्रशासन ने उच्च क्वालिटी वाला गेहूं ही खरीदने का निर्देश दिया है। ऐसे में कम क्वालिटी का गेहूं किसानों से नहीं खरीदा जा रहा है। हालांकि इसी बीच सरकार ने दागी गेहूं खरीदने की स्वीकृति दे दी थी लेकिन इसके बाद भी किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने लिए खरीद केंद्र नहीं आकर खुले बाजार में अपना गेहूं बेच रहे हैं। यही कारण है कि खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में एमएसपी से अधिक गेहूं का रेट खुले बाजार और प्राइवेट मंडियों में है। ऐसे में किसान सरकारी खरीद केद्रों पर गेहूं नहीं बेचकर खुले बाजार में अपना गेहूं बेच रहे हैं। खुले बाजार में गेहूं के अच्छे भाव मिलने से किसानों को लाभ हो रहा है। वहीं सरकारी खरीद अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 15 मई तक 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं के लक्ष्य के मुकाबले एमएसपी पर खरीद 42 लाख मीट्रिक टन ही हो पाई है जो लक्ष्य को पूरा करने के लिए कोसों दूर है। बता दें कि सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं की खरीद का काम 15 मार्च से शुरू हो गया था।
केंद्र सरकार की ओर से 2024-25 विपणन वर्ष के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) घोषित किया गया है। मध्यप्रदेश में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 के साथ 125 रुपए का बोनस दिया जा रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश के किसानों को एमएसपी पर गेहूं बेचने से 2400 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है जो अन्य राज्यों से अधिक है। इसी तरह राजस्थान में भी किसानों को 2400 रुपए प्रति क्विंटल का एमएसपी, बोनस जोड़कर किसानों को दिया जा रहा है।
यदि बात की जाए गेहूं के बाजार भाव की तो मध्यप्रदेश में गेहूं का भाव खुले बाजार और प्राइवेट मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा है। यदि बोनस को हटा कर देखें तो प्रदेश की सभी मंडियों में भाव एमएसपी से करीब 100 से 200 रुपए ऊपर चल रहे हैं। इसमें उज्जैन की बडनगर मंडी में गेहूं का भाव 2400 रुपए प्रति क्विंटल, धार जिले की कुक्षी मंडी में गेहूं का भाव 2450 रुपए प्रति क्विंटल और विदिशा जिले की कुरवाई मंडी में गेहूं का भाव 2470 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। इसी प्रकार अन्य मंडियों में गेहूं के भाव चल रहे हैं।
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